अधिगम के नियम- थार्नडायक के सीखने के मुख्या नियम एवं सीखने में उनका महत्व
अधिगम के नियम (Law of Learning) पशु, पक्षी, पौधे, मानव-सभी प्रकृति के नियमों के अनुसार जीवन व्यतीत करते हैं। इसी प्रकार सीखने के भी कुछ नियम हैं। सीखने की प्रक्रिया इन्हीं नियमों के अनुसार चलती है।
ई0एल0थार्नडाइक (E.L.Thorndike) ने सीखने के कुछ नियम बताएं हैं जिनको प्रयोग से अध्ययन-अध्यापन प्रक्रिया को और अधिक प्रभावशाली बनाया जा सकता है। उन्होंने सीखने के तीन मुख्य नियम एवं पाँच गौण नियम प्रतिपादित किए हैं।
- सीखने के मुख्य नियम (Primary Laws of Learning)
- तत्परता का नियम (Law of Readiness)
- अभ्यास का नियम (Law of Exercise)
- परिणाम का नियम (Law of Effect) /प्रभाव का नियम/सन्तोष का नियम (Law of Satisfaction)
- सीखने के सहायक या गौण नियम (Secondary Laws of Learning) थार्नडाइक ने सीखने के पाँच गौण नियमों का प्रतिपादन किया है, इन नियमों का महत्व मुख्य नियम से कम है, इसलिए ये गौण नियम है।
- मनोवृत्ति का नियम (Law of Disposition)
- बहु अनुक्रिया का नियम (Law of Multiple Response)
- आंशिक क्रिया का नियम (Law of Partial Activity)
- अनुरूपता का नियम (Law of Analogy)
- सम्बन्धित परिवर्तन का नियम (Law of Associative shifting)
- उद्देश्यों की स्पष्टता (Clarity of Aims) शिक्षा के क्षेत्र में ज्ञान का उद्देश्य निश्चित, स्पष्ट एवं जीवनपयोगी होना चाहिए। जब बच्चे उसे सीख लेगें तो स्वतः ही सीखने के क्षेत्र में अपने ध्यान को एकाग्र कर सकेंगे। वे सुख देने वाला कार्य, कष्ट देने वाले कार्य की अपेक्षा शीघ्र करते एवं सीखते हैं।
- उपयुक्त ज्ञान एवं क्रिया का चयन (Selection of Action and Appropriate Knowledge)-बच्चे की शारीरिक एवं मानसिक क्षमता का मूल्यांकन करने के बाद ही सीखने वाले को उपयुक्त ज्ञान एवं क्रिया और विधि का चुनाव करना चाहिए। इससे उसे स्थानान्तरण एवं अभ्यास में सरलता होती है।
- अभ्यास जागृत करना (To Awake Exercise) शिक्षक को विषय अथवा पाठ बार-बार दोहराकर अभ्यास करना चाहिए। शिक्षक द्वारा छात्रों को यह बतलाना कि बार-बार अभ्यास करने से सीखा गया ज्ञान स्थाई रहता है तथा बिना अभ्यास के वह विस्मृत हो जाता है।
- तत्परता जागृत करना (To Awake Readiness) बच्चा/छात्र अपने कार्य को तभी सीख सकते है जब वह सीखने के लिए तैयार होगें। तत्परता बच्चों की रुचि, उत्साह, शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य आदि पर निर्भर करता है। अतः शिक्षक को चाहिए कि वह बच्चों को सिखाने से पहले तैयार कर लें, ताकि वे ज्ञान को ठीक तरीके से ग्रहण कर सकें ।
- स्वक्रिया पर बल (Stress on self Action) अधिगमकर्ता को स्वयं हाथों से कार्य को करके सीखना चाहिए। इससे उसका अनुभव मजबूत एवं स्थायी होता है। इससे स्वनिर्भरता का विकास होता है।
- अनुभव स्थानान्तरण (Experience Transfer) सीखने के नियमों से यह स्पष्ट होता है कि मानवीय अनुभव का विशेष महत्व होता है। शिक्षक को चाहिए कि वे छात्रों को अधिक से अधिक अनुभव एकत्रित करने का अवसर दें। इसके पश्चात् वे छात्रों को अनुभवों की नवीन समस्या या कार्य के सीखने में उपयोगिता बताएँ। इस प्रकार बार- बार अभ्यास और प्रयोग से छात्र स्वतः ही अनुभवों का प्रयोग करना सीख जायेंगे
- प्रेरकों का प्रयोग (Use of Motives) सीखने के नियमों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सीखने के लिए उचित वातावरण एवं प्रेरकों का प्रयोग आवश्यक है। जब हम बच्चों को पुरस्कार, प्रोत्साहन, प्रशंसा के द्वारा सीखने के लिए तैयार करते हैं तो वे सीखने के प्रति उत्साह एवं रुचि को प्रकट करते हैं। शिक्षकों को चाहिए कि वे पठन-पाठन के बीच-बीच में बच्चों को उत्साहित करते रहें, इससे वे प्रसन्न रहते हैं तथा शिक्षक को भी परिश्रम कम करना पड़ता है। इस प्रकार थार्नडाइक के सीखने के नियम शिक्षा के क्षेत्र में लाभप्रद रहे हैं। सीखने के प्रति छात्रों को उत्साहित बनाना शिक्षक का प्रथम कर्तव्य होना चाहिए।
- थार्नडाइक द्वारा प्रतिपादित सीखने के दो महत्वपूर्ण नियम बताए गए है जिसके प्रयोग से अधिगम अधिक प्रभावशाली होता है।
- सीखने के मुख्य नियम- तत्परता का नियम 2. अभ्यास का नियम 3. परिणाम का नियम।
- सीखने के गौण नियम- मनोवृत्ति का नियम 2. बहुअप्रतिक्रिया का नियम 3. आंशिक क्रिया का नियम 4. अनुरूपता का नियम 5. सम्बन्धित परिवर्तन का नियम।
- सीखने के नियमों का प्रयोग कर शिक्षक छात्रों में अधिगम के प्रति रुचि, उत्साह एवं संतोष विकसित कर सकते हैं।
मुल्यांकन
बहुविकल्पीय
- सीखना व्यवहार में उत्तरोत्तर सामंजस्य की एक प्रक्रिया है। यह कथन है
- योजना विधि के जन्मदाता है-
- सीखने के गौण नियमों की संख्या है-
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